देश में नेत्र रोगों से उत्पन्न अंधता स्वतंत्रता के 70 वर्षो का सामाजिक विकास (सेन्स ऑफ़ सोसाइटी का बनना) एवं सिर्फ एलोपैथ के पीछे अंधी दौड़ का भयंकर विद्रूप है जो आज देश में एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन गयी है पिछले 70 वर्षो में पाश्चात्य पैथी के नेत्र चिकित्सको एवं विशेषज्ञो ने पुरे देश में सुनियोजित ढंग से एक सेन्स ऑफ़ सोसाइटी पैदा किया कि आयुर्वेदिक नेत्र औषधि (आँजन) इत्यादि के स्तमाल से कुछ नहीं होता, बल्कि इंक प्रयोग से हानि होती है, तथाकथित नेत्र विशेषज्ञो ने भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान की जो घोर उपेछा एवं इसके प्रति दुष्प्रचार करके पुरे देश को ऑपरेशन शिविर में बदलने का अपराध किया है जो की उचित नहीं है।
आधुनिक नेत्र चिकित्साको एवं विशेषज्ञो के 35वे राज्य सम्मेलन में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री रमेशचंद्रा ने कहा कि अर्शे से चल रहे अंधत्व निवारण के राष्ट्रीय कार्यक्रम के रहते हुए अंधपन के रोगियों की संख्या क्यों बेहिसाब बढाती चली जा रही है। इस बात पर गंभीरता से मंथन करे की कमी कहाँ है। जो की आधुनिक नेत्र चिकित्सा पद्धति की असफलता एवं असमर्थता को स्पष्ट रूप से रेखांकित कर रही है।
सबसे हास्यप्रद बात यह है कि एलोपैथी पद्धति में अंधत्व रोग की रोकथाम की कोई दवा नहीं है बल्कि इनकी नेत्र औषधीयो के अधिक प्रयोग से देश में अंधत्व रोग और गति पकड़ रहा है वह देश में आँखों की देखभाल नेत्र रोगों से अंधता निवारण का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है।
ऐसी विकट स्तिथि में हमारा विरोध आधुनिक चिकिस्ता पद्धति से नहीं , उनकी अपने जगह पर्याप्त महान महत्ता है। किन्तु ऑपरेशन से बेहतर दृष्टि शक्ति का बचाव है।
देश के सरकारी व गैर सरकारी नेत्र विशेषज्ञो एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञो से अनुरोध है कि इस संबंध में सच्चाई को स्वीकार कर वैदिक नेत्र चिकित्सा विज्ञान के बारे में पूरे देश में एक सेन्स ऑफ़ सोसाइटी का निर्माण करे जिससे की देश इस चुनौती का मुकाबला कर सके।
भारत एक उष्णकटबंधीय देश है जहाँ कैट्रेक्टस एक सामान्य बीमारी है, प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा शास्त्रियों , तत्व ज्ञानी ऋषियों ने देश में आँजन की संस्कृति एवं जीवन पद्धति बनायीं प्राचीन काल से ही नेत्र रोगों से उत्पन्न अंधता से मुक्ति हेतु राष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक आँजन का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता रहा है जिससे की अंधत्व रोग नियंत्रण में था
हमारी सरकार से अपील है कि नेत्र औषधि भी।सनी आँजन व वैदिक विज्ञानं , त्रिदोष चिकित्सा की वैज्ञानिकता पुनर्मूल्यांकन समीक्षा व पारीक्षण आज के विज्ञान द्वारा किया जाय जिससे की इसको चतुर्दिक मान्यता प्राप्त हो व राष्ट्रीय स्तर पर देश में अंधत्व रोग की राष्ट्रीय चुनौती का सामना वास्तविक परिणाम मूलक एवं विवेक पूर्ण ढंग से करने में देश सक्षम हो सके।
देश में अंधत्व रोग की विश्स्वस्नीय प्रभावी औषधि के आभाव में अंधत्व रोग बढ़ रहा है जब तक वैदिक नेत्र चिकित्सा पद्धति नहीं अपनायी जायेगी अंधत्व रोगों की रोकथाम तथाकथित नेत्र विशेषज्ञों के लिए दिवास्वप्न ही रहेगा।
भीमसेनी आँजन 21वीं शताब्दी में नेत्र के लिए राष्ट्रीय औषधि घोषित होने की गुणवत्ता से युक्त है। देश का वैदिक चिकित्सा विज्ञान अविनश्वर है देश की राष्ट्रीय धरोहर है इसे संरक्षण प्रदान करना सरकार का नैतिक दायित्व भी है।
भीमसेनी आँजन देश के अयिर्वेदिक जगत की भीमसेनी कार्यालय की महान देन है जब दूसरी औषधियां नेत्र पर कार्य नहीं कराती तो उस वक़्त भीमसेनी आँजन आँखों की जाती रोशनी को बचा सकता है। व्यक्ति मृत्यु पर्यन्त देख सकता है।