हमारा उद्देश्य विश्व जन नेत्र कल्याण हेतु कम मूल्य पर आँखों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता युक्त नेत्र औषधि प्रदान करना तथा यह नेत्र औषधि भारत ही नहीं विश्व के हर कोने तक पहुचाना तथा लोगों को लाभान्वित करना हमारा उद्देश्य है।
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में नेत्र चिकित्सा की ऐसी वैदिक पद्धति नहीं बची है इसकी सुरक्षा करना तथा इसे बचाये रखना व् जन-जन तक पहुचाना सरकार का कर्तव्य है।
भीमसेनी कार्यालय की स्थापना सन् 1947 में स्वर्गीय कतवारू मौर्य ने देश की जनता की आँखों की पूरी देखभाल एवं नेत्र रोगों से उत्पन्न अंधता से मुक्ति हेतु की, उसके पहले कई वर्षो तक तत्कालीन समय के जाने माने व्याकरणाचार्य स्वर्गीय पंडित सत्यनारायण शास्त्री जी, उनके आयुर्वेदिक गुरु स्वर्गीय वैध धरमदास जी, मूर्धन्य भैषज कल्पक ,स्वर्गीय पंडित कलाधर प्रसाद जी एवं आयुर्वेदिक चक्रवर्ती स्वर्गीय तारकशंकर मिश्र आयुर्वेद विशेषज्ञ के निर्देशन में नेत्र के भौतिक संगठन (दोष,धातु एवं मलो) एवं उनकी मात्राओं का गहन छानबीन व् नेत्र रोगों पर प्रयोग के आधार पर हमारी संस्था ने निर्माण तकनीकी ज्ञान का अर्जन किया।
इसका रजिस्ट्रेशन जब केंद्र सरकार ने आयुर्वेद पर ड्रग एक्ट लागू किया इसके पश्चात लाइसेंस हेतु संस्था ने आवेदन किया, विभिन्न क्लिनीकली परीक्षणो के उपरांत नेत्र रोगों पर प्रभावी गुणवात्ता के कारण 1986 में ड्रग लाइसेंस A1261/86 आयुर्वेदिक यूनानी निर्देशालय लखनऊ ने औषधि निर्माण लाइसेंस जारी किया।
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